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भारतीय स्थापत्य कला के कुछ प्रमुख उदाहरण - मीनाक्षी मंदिर- मदुरै (तमिलनाडु)  एलोरा का मंदिर जो एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है.  कैलाश मंदिर एलोरा गुफा क्रमांक 16  अजंता गुफा क्रमांक 26   कंदरिया महादेव मंदिर- खजुराहो (मध्य प्रदेश)  जैन मंदिर- दिलवाड़ा (राजस्थान) दिलवाड़ा के जैन मंदिर का एक दृश्य  रानी की वाब -राजस्थान  लिंगराज मंदिर- भुवनेश्वर (ओडिशा) होयसलेश्वर मंदिर- द्वारसमुद्र (कर्नाटक) 

ओशो टाइम्स से एक कविता

रंग में, धर्म में, देश में, बँट रहा आज तक आदमी  रेख भूगोल पर खींच दी, वो हमारे वतन हो गए । खून आदम की औलाद का, मंत्र से पूत जल बन गया , धर्म, जो प्रेम के गीत थे, आदमी का कफ़न हो गए । नापता अपनी नहीं दूरियां, नापता चाँद को आदमी, और इन्सान के फासले , अजनबी सी घुटन हो गए । बँट गया नीलवर्णी गगन, बँट गई ये धरा श्यामल, और बारूद-गंधी पवन, भोगते ही जनम हो गए । आदमी ब्रह्म का अंश है, आदमी देव का वंश है,  ये विशेषण हमारे लिए, आत्मभोगी अहम् हो गए ।। ओशो ।।
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Festival , Republic Day | Forward this Picture
प्रस्तुत है भवानी प्रसाद मिश्र  की  कविता, इसमें देश के हालात का कितना अच्छा वर्णन किया गया है. बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले, उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले उनके ढंग से उड़े, रुकें, खायें और गायें वे जिसको त्यौहार कहें सब उसे मनाएं कभी कभी जादू हो जाता दुनिया में दुनिया भर के गुण दिखते हैं औगुनिया में ये औगुनिए चार बड़े सरताज हो गये इनके नौकर चील, गरुड़ और बाज हो गये. हंस मोर चातक गौरैये किस गिनती में हाथ बांध कर खड़े हो गये सब विनती में हुक्म हुआ, चातक पंछी रट नहीं लगायें पिऊ-पिऊ को छोड़े कौए-कौए गायें बीस तरह के काम दे दिए गौरैयों को खाना-पीना मौज उड़ाना छुट्भैयों को कौओं की ऐसी बन आयी पांचों घी में बड़े-बड़े मनसूबे आए उनके जी में उड़ने तक तक के नियम बदल कर ऐसे ढाले उड़ने वाले सिर्फ़ रह गए बैठे ठाले आगे क्या कुछ हुआ सुनाना बहुत कठिन है यह दिन कवि का नहीं, चार कौओं का दिन है उत्सुकता जग जाए तो मेरे घर आ जाना लंबा किस्सा थोड़े में किस तरह सुनाना ?
भारत माँ की वंदना : पदुमलाल पुन्नालाल बक्षी की प्रथम कविता:     क्या तुमने मेरी माता का देखा दिव्याकार, उसकी प्रभा देख कर विस्मय-मुग्ध हुआ संसार ।। अति उन्नत ललाट पर हिमगिरि का है मुकुट विशाल, पड़ा हुआ है वक्षस्थल पर जह्नुसुता का हार।। हरित शस्य से श्यामल रहता है उसका परिधान, विन्ध्या-कटि पर हुई मेखला देवी की जलधार।। भत्य भाल पर शोभित होता सूर्य रश्मि सिंदूर, पाद पद्म को को प्रक्षालित है करता सिंधु अपार।. सौम्य वदन पर स्मित आभा से होता पुष्प विराम, पाद पद्म को प्रक्षालित है करता सिंधु अपार ।। सौम्य वदन पर स्मित आभा से होता पुष्प विराम, जिससे सब मलीन पड़ जाते हैं रत्नालंकार ।। दयामयी वह सदा हस्त में रखती भिक्षा-पात्र, जगधात्री सब ही का उससे होता है उपकार ।। देश विजय की नहीं कामना आत्म विजय है इष्ट , इससे ही उसके चरणों पर नत होता संसार ।।

FREEDOM IN THE WORDS OF RAVINDRANATH TAGORE:

Where the mind is without fear and the head is held high; Where knowledge is free; Where the world has not been broken up into fragments by narrow domestic walls; Where words come out from the depth of truth; Where tireless striving stretches its arms towards perfection; Where the clear stream of reason has not lost its way into the dreary desert sand of dead habit; Where the mind is led forward by thee into ever-widening thought and action--- Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.

SWAMI VIVEKANANDA:SPECIAL ON NATIONAL YOUTH DAY:

JAN, 12, the birthday of Swami Vivekananda is celebrated every year as the National Youth Day. Glimpses of his Thoughts and Teachings: See how much relevant he is after a long period of 120 years:   1. Love Is The Law Of Life: All love is expansion, all selfishness is contraction. Love is therefore the only law of life. He who loves lives, he who is selfish is dying. Therefore, love for love's sake, because it is law of life, just as you breathe to live. 2. It's Your Outlook That Matters: It is our own mental attitude, which makes the world what it is for us. Our thoughts make things beautiful, our thoughts make things ugly. The whole world is in our own minds. Learn to see things in the proper light. 3. Life is Beautiful: First, believe in this world - that there is meaning behind everything. Everything in the world is good, is holy and beautiful. If you see something evil, think that you do not understand it in the right light. Throw the burden on y...